Saturday 23 July 2011

इतिहास का सबसे जटिल युद्ध

सुभाष धूलिया


पाकिस्तान आज ऐसे देश की श्रेंणी में आज चुका जो अब तक अन्य देशों में आतंकवाद को हवा देता रहा लेकिन आज खुद इसी कारण से एक युद्धग्रस्त देश बन चुका है. एक ऐसे मौके पर जब पाकिस्तान को एक मजबूत सत्ता के सबसे अधिक जरुरत है, यह सत्ता विहीन सा हो गया गया है. यहीं सत्ता का कोई एक केंद्र नहीं रह गया है. एक तरफ तथाकथिक लोकतन्त्र है जिसके नेतृत्व की साख और धाक पर हमेशा प्रश्नचिन्ह लगते रहे हैं और दूसरी तरफ सैनिक प्रतिष्टान जिसके जिसके हाथ में वास्तविक सत्ता है . पाकिस्तान का दुर्भाग्य है के इसके पूरे इतिहास में सेना का हे वर्चस्व रहा जिसने इस गरीब देश के पूरी व्यवस्था का सेन्यीकरण किया. सैनिक व्यय इतना हो चुका है कि लगभग एक तिहाई संसाधन सेना हड़प लेती है और शिक्षा -स्वस्थ जैसे सामाजिक क्षेत्र हासिये पर चले गए हैं.

नाभिकीय पाकिस्तान में एक विशाल आतंकीतंत्र पैदा हो चुका है जो केवल 9/11 या 26/11 के लिए ही जिम्मेदार नहीं रहा है बल्कि आज विश्व आतंकवाद का वैश्विक मुख्यालय बन चुका है जिसे भले ही पाकिस्तान सरकार का समर्थन प्राप्त न हो लेकिन इसे सैनिक प्रतिष्टान और बदनाम आई यस आई के प्रभावशाली तबकों का संरक्षण प्राप्त है जिसके बदौलोत लादेन इतने वर्षों तक वहां छिपा रहा और अब हेडली के मामले को लेकर जो सबूत सामने आये हैं उनसे भी साफ हो गया है कि पाकिस्तान का ख़ुफ़िया तंत्र किस हद तक भारत पर 26/11 के आतंकी हमलों के पीछे था. पाकिस्तान के समाज में धार्मिक उग्रवाद गहरी जड़ें जमा चुका है जो आंतकवाद को उपजाऊ जमीन मुहय्या करता है. पाकिस्तान के अस्तित्व में आने से हे यहाँ के शासक धार्मिक उग्रवाद को राजीनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करते रहें हैं और आज यही इन्ही हथियरों ने पाकिस्तान अपने इतिहास सबसे घहरे संकट कें डाल दिया है. पाकिस्तान का हर संकट पहले के संकट से अधिक गहरे होते चले गए. आज का संकट तो ऐसा है कि यहाँ तक कहा जा रहा है की पाकिस्तान एक विफल राज्य की और अग्रसर है जहाँ कानून का राज ख़त्म हो जाता है और सिविक सोसायटी और हर जनसंघठन अस्तित्वविहीन हो जातें हैं .
अपने पूरे इतिहास में पाकिस्तान की राजनीती भारत-विरोध और इस्लामी उग्रवाद के केंद्र में रही. लेकिन आज यह एक कैसे आतंकवाद से जूझ रहा है जिसका मुख्या निशाना विश्व के इतिहास की सबसे बड़ी सुपर पॉवर अमेरिका है जिसने नाभिकीय पाकिस्तान की प्रभुसत्ता और अखंडता की धज्जियाँ उडा कर रखीं हैं. लादेन को मारने के लिए अमेरिका ने इसकी राजधानी के एकदम पास एक सैनिक आक्रमण में किया और रोज-रोज ही पाकिस्तान पर अमेरिकी हवाई हमले होते रहतें हैं . एक नाभिकीय देश बेचारा बन कर रह गया है पर इस बेचारगी और विवशता के परिणाम घातक हो सकतें हैं –केवल पाकिस्तान के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए.

आज पकिस्तान अमेरिका के चंगुल में फंसा है. पाकिस्तान के भीतर अमेरिका ने एक मजबूत सैनिक और खुफियातंत्र कायम कर लिया है. पाकिस्तानी सैनिक प्रतिष्ठान को इन परिस्थितियों में चीन से भी ऐसी मदद नहीं मिल सकती जिसकी इसे दरकार है. अमेरिका के इस्लामी उग्रवाद के निशाने पर आने के बाद सब कुछ बदल गया. पाकिस्तान का दुर्भाग्य रहा की वह पुराने समीकरणों का पूरी तरह परित्याग नहीं कर पाया और 9 /11 के उपरान्त उभरी व्यवस्था के साथ तालमेल नहीं बिठा पाया जिसका खामियाजा उसे आज भुगतना पड़ रहा है और एक राष्ट्र- राज्य के रूप में इसका अस्तित्व ही दाव पर लग गया है. जिस तरह 9 /11 के उपरांत दुनिया बदली, ठीक उसी तरह पाकिस्तान पर लादेन को मरने के लिया अमेरिकी आक्रमण से एशिया का यह भूभाग भी बदल चुका है और ऐसे में भी यह देश दिशाहीन है. इन बदली परिस्थितिओं का सामना करने के लिए अब तक पाकिस्तान कोई स्पष्ट रणनीति नहीं विकसित कर पाया है . ऐसी परिस्थितिओं कई बार आत्मघाती दुस्साहस को जन्म देती है और पाकिस्तान के सैनिक प्रतिष्ठान की इस तरह के दुस्साहस की क्षमता को बिलकुल भी कम करके नहीं आँका जा सकता. लेकिन . पाकिस्तान के इस्लामी उग्रवाद के खिलाफ युद्ध की अग्रिम पंक्तियों में स्वयं अमेरिक खड़ा है. अफगानिस्तान में स्थायित्व कायम करने और सैनिक वापसी के लिए अमेरिका को पाकिस्तान के इस्लामी उग्रवाद को पराजित करना होगा. बहुत लम्बे समय तक पाकिस्तान के इस्लामी उग्रवाद किए निशाने पर केवल भारत ही रहा है लेकिन आज प्रत्यक्ष रूप से तो यह अमेरिका का ही युद्ध बन चुका है . पाकिस्तान के भीतर के भावी सत्ता समीकरणों को तय करने में अमेरिका की एक बड़ी भूमिका हो गयी है. अमेरिका इस इस दखल के खतरे भी हैं और इससे अंध-राष्ट्रवाद और उग्रवाद को ताकत मिलती है जिसके अपने ही खतरें हीं.

शीत युद्ध के दौरान अमेरिका ने पाकिस्तान के जरिये सोवियत संघ के खिलाफ इस्लामी उग्रवाद को खड़ा किया और नब्बे के दशक मैं अफगानिस्तान पर प्रभुत्व कायम करने के लिए पाकिस्तान ने तालिबान को खड़ा किया लेकिन 9 / 11 के बाद ये राजनितिक निवेश ध्वस्त हो गया. दरअसल 9/11 के उपरांत उभरे राजीनीतिक और सामरिक समीकारों से पाकिस्तान को उस इस्लामी उग्रवाद के खिलाफ अमेरिकी युद्ध मैं शामिल होने के लिए मजबूर होना पड़ा
.
लेकिन आज के परिस्थियों में पाकिस्तान के नाभिकीय हथियार एक बार फिर चर्चा का विषय बने गए हैं और अमेरिका ही नहीं पूरी दुनिया में ये डर रहा है की कहीं आतंकवादियों के हाथ नाभिकीय हथियार न आ जायें और जब भी ये आशंका होती है, हर निगाह पाकिस्तान की तरफ जाती है . पाकिस्तान दुनिया का एकमात्र देश हैं जिसे नाभिकीय स्मगलर का ख़िताब मिला है .और पाकिस्तान ही दुनिया कि एकमात्र ऐसी नाभिकीय शक्ति है जो इन विनाशकारी हथियारों के प्रयोग करने कि धमकियाँ देती है. लादेन के मारे जाने के बाद पाकिस्तान सरकार ने बयान दिए इस तरह के सैनिक कार्रवाई दुबारा होने के स्थिति के गंभीर परिणाम होंगे और यहाँ तक कहा है की ऐसी किसी भी कार्रवाई के पूरी दुनिया के लिए विनाशकरी परिणाम होंगे. इस तरह के बयान एक तरह से नाभिकीय युद्ध के धमकी है. अब तक पाकिस्तान भारत के साथ नाभिकीय ब्लैकमेल का सहारा लेता रहा और आब पूरी दुनिया को धमकी दे डाली है. इस तरह का नाभिकीय ब्लैकमेल संकटग्रस्त पाकिस्तान को काफी भरी पड़ सकता है. . पाकिस्तान संसद सरकार , सेना और कुख्यात आई एस आई के रुख से लगता है के सैन्य प्रतिष्टान पर अमेरिका का निशाना एक वास्तविक सम्भंवना है.

विश्व समुदाय के अनेक हलकों में इनकी सुरक्षा के लेकर संदेह व्यक्त किये जा रहें हीं. पाकिस्तान ने भारत के साथ सैनिक होड के चलते नाभिकीय हथियार तो हासिल कर लिए लेकिन आज यही नाभिकीय हथियार पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गए हैं. आज पाकिस्तान को सबसे बड़ा खतरा भारत नहीं बल्कि पश्चिम-विरोधी आतंकवाद है जिस पर काबू करने में पाकिस्तान असमर्थ प्रतीत होता है और जो पाकिस्तान-अफगान भूभाग में इतनी गहरी जड़ें जमा चुका है कि इसे जड़ से मिटाना मुश्किल प्रतीत होता है. इसके समान्तर पाकिस्तान में अमेरिका विरोध उग्र रूप धारण कर चुका है .

पाकिस्तान आज केवल एक संकटग्रस्त देश नहीं है . यह एक शर्म और अपमान में डूबा देश है. नाभिकीय हथियारों से लैस यह. सैनिक शक्ति आज बेबस है. अमेरिका ने इसकी प्रभुसत्ता और अखंडता की धज्जियाँ उड़ाते हुए इसकी राजधानी के एकदम पास एक सैनिक आक्रमण में ओसामा को मार गिराया. इसके कुछ हे दिनों बाद पाकिस्तान के नौसैनिक प्रतिष्टान पर एक बड़ा आतंकवादी हमला हुआ. इससे पाकिस्तान के सुरक्षा तंत्र को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं और ये सवाल और भे गंभीर हो जातें हैं क्योंकि यह देश नाभिकीय हथियारों से लैस है. . ओसामा अगर बिना इन तबकों की मदद से पांच साल तक पाकिस्तान की राजधानी के करीब रहा रहा था तो फिर यह तो और भी खतरनाक स्थिति हैं और पाकिस्तना के सैनिक और ख़ुफ़िया तंत्र के निकम्मेपन की पराकाष्टा है और अगर ऐसा है तो कैसे ये माना जाये के पाकिस्तान के नाभिकिये हथियार किन्ही सुरक्षित हाथों मैं हैं और ये हाथ कितने सुरक्षित हैं ?

पाकिस्तान अपने इतिहास में हमेशा से ही संकटग्रस्त रहा है और इसका हर संकट पहले के संकट से अधिक गहरे होते चले गए. आज का संकट तो ऐसा है कि यहाँ तक कहा जा रहा है की पाकिस्तान एक विफल राज्य की और अग्रसर है जहाँ कानून का राज ख़त्म हो जाता है और सिविक सोसायटी और हर जनसंघठन अस्तित्वविहीन हो जातें हैं . पाकिस्तान के भीतर ही कहा जा रहा है कि अब अमेरिका का अगला निशाना पाकिस्तान का सैनिक प्रतिष्ठान और इसके नाभिकीय हथियार होंगे. इससे पहले भी एक बार जब पाकिस्तान में अमेरिका -विरोधी इस्लामी उग्रवाद इतने चरम पर था और पाकिस्तान सरकार इस पर नियंत्रण करने में असमर्थ सी दिख रही थी तब भी खबरें थीं कि अमेरिका ने अफगानिस्तान में विशेष दस्ते तैनात कर दिए हैं जो जरुरत पड़ने पर पाक नाभिकीय हथियारों पर नियंत्रण कायम कर लेंगे.

अफगानिस्तान में नाटो और अमेरिकी सेना को विभिन्न तरह के साजो-सामान की आपूर्ती पाकिस्तान के रास्ते होती है. हाल हे मैं पाकिस्तान ने ये भी धमकी दी वह इन रास्तों को बंद भी कर सकता है . अमेसिका ने आगे वर्ष अफघानिस्तान से अपनी सेना वापस बुलाने के प्रक्रिया शुरू करने का इरादा जाहिर किया है और तब तक वह अफगानिस्तान में किसी न किसी तरह का स्थावित्व कायम करना चाहेगा और इसमें सबसे बड़ी बाधा पाकितान ही साबित हो रहा है. . लादेन के पाकिस्तान में मारे जाने पर अफगान राष्ट्रपति करज़ई ने कहा की इससे उनकी ये बात सही साबित हो गयी हैं की आतंकवाद से लड़ने के लिए उनके देश के गाँव और गरीवों के खिलाफ युद्ध निरर्थक है और आतंकवाद का असली गढ़ पाकिस्तान हैं और युद्ध वहां छेड़ा जाना चाहिए..

आज के परिस्थियों में अफगानिस्तान से अमेरिकी वापसी खतरे में पड़ रही है और सारा दवाब पाकिस्तान पर है जो बेबस, दिशाहीन और नेतृत्व विहीन नज़र आता है. पड़ोस में एक ऐसा युद्ध हो रहा है जो इतना जटिल है के इससे पहले ऐसा हद कभी नहीं देखा गया और आज भावी परिदृश्य का खाका खींचना मुमकिन नहीं दिखता.

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